वो बचपन न जाने कहाँ बीत गया।

माँ के गोद मे खेलते खेलते खेलते न जाने बचपन कहाँ बीत गया। न जाने माँ के हाथ का स्वादिष्ट खाना बाहर के खाने मे कब तब्दील हो गया। न जाने कब हम मासुम से शैतान बन गए। न जाने वो सुकून की नींद तनाव मे कब बदल गयी। वो बचपन न जाने कहाँ बीत गया। न जाने भाई बहन की मस्ती तस्वीरों मे बंद होकर क्यों रह गयी। न जाने बाहर खेलने वाले खेल वीडियो गेम मे कब तब्दील हो गये। न जाने कब हमारे Best friends Facebook friends बनके रह गये। न जाने पापा की वो मीठी सी डांट कहाँ गुम हो गयी। न जाने माँ की वो मीठी सी लोरी कानो से कहाँ गायब हो गयी। न जाने वो सारे सुख भरे लम्हे यादो मे ही सिमट कर क्यों रह गए। न जाने pocket money कब salary मे बदल गयी। न जाने स्कूल की परीक्षा कब office politics मे बदल गयी। न जाने वो वक़्त कहाँ बीत गया। न जाने वो बचपन कहाँ बीत गया।